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Rajesh SAXENA

Tragedy Inspirational

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Rajesh SAXENA

Tragedy Inspirational

वक्त के साथ चला

वक्त के साथ चला

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वक्त के साथ मैं चला, चलता रहा,

अकेले अकेले, मैं सहमा भी, डरा भी,

बिखरा भी लड़खड़ाया भी, संभला भी, 

फिर गिर पड़ा, रुका, मगर फिर खड़ा हुआ

और चल पड़ा वक्त की हर चाल पर, 


और, वो वक्त बिना सहमे, बिना डरे,

बिना बिखरे, बिना डगमगाए, बिना गिरे,

सीधी चाल से चलता रहा मुझे अपनी चाल में चला के,

लेकिन फिर भी लोग, मुझे ही गलत बताते रहे

और समझाते रहे की वक्त के साथ संभल के चलो।


क्या अजब चाल है वक्त की.....



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