तेरे अंचल की मृदुल - छाँव ममता ले तेरी बढ़े पाँव। तेरे अंचल की मृदुल - छाँव ममता ले तेरी बढ़े पाँव।
मंजिल पे पाँव रख सब निखरे हुए हैं। मंजिल पे पाँव रख सब निखरे हुए हैं।
यह तो हमारा दृष्टिकोण ही धुंधला हो जाता है यह तो हमारा दृष्टिकोण ही धुंधला हो जाता है
धूम मचाता अंधड़ आया । धूल उड़ी अंधेरा छाया । धूम मचाता अंधड़ आया । धूल उड़ी अंधेरा छाया ।
तुम बिन भाए ना शाम,सांवरे तुम बिन भाए ना रैन। तुम बिन भाए ना शाम,सांवरे तुम बिन भाए ना रैन।
काश कोई तो अपना होगा, पर वह तो पराया निकला काश कोई तो अपना होगा, पर वह तो पराया निकला