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Anil Mishra Prahari

Inspirational

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Anil Mishra Prahari

Inspirational

धूल ही चंदन है

धूल ही चंदन है

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कण-कण में बिखरा है सुवास 

लघु-जीवन की तू दिव्य - प्यास

किरणें छू करतीं नित्य लास। 

जन्मभूमि- जननी तेरा अभिनन्दन है। 

धूल ही चंदन है। 


तेरे अंचल की मृदुल - छाँव 

ममता ले  तेरी  बढ़े  पाँव 

पाया तुझसे है ठौर - ठाँव। 

हरती जीवन-संताप, विश्व का क्रंदन है। 

धूल ही चंदन है। 


बहता सुखमय शीतल - समीर 

संतप्त  दिशाएँ  चीर - चीर

मन का उड़ता फिर मुदित कीर। 

भर जाता हर्षोल्लास, चतुर्दिक रंजन है। 

 धूल ही चंदन है। 


हारे को अंक  अभय  देती               

बेसुध - जीवन को लय  देती               

रेतों  को  निर्झर पय देती। 

संसृति के दृग का तू मंगल अंजन है। 

धूल ही चंदन है। 




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