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Anil Mishra Prahari

Inspirational

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Anil Mishra Prahari

Inspirational

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

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हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है। 

बढ़ना कहाँ आसान है 

पथ का हृदय पाषाण है, 

बेशक गड़ेंगे शूल भी 

होंगी अनेकों भूल भी। 

फिर भी सतत चलना तुम्हारा धर्म है 

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है। 

गरजे समंदर रह निडर 

लड़ तुंग लहरों से निखर, 

तूफान से मत भागना 

होता अगर है सामना। 

निज शौर्य, बल विस्तार में क्या शर्म है

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है। 

जो जीतना है ठान ले

अपनी प्रत्यंचा तान ले, 

कितना बुरा भी हाल हो

ऊँचा हमेशा भाल हो। 

तेरी रगों में खून बहता गर्म है

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है। 

माना कि तम का ढेर है

उजली किरण में देर है, 

तुम दीप बनकर भी जलो

पग-पग उजालों में ढलो। 

हर लक्ष्य पाने का यही एक मर्म है

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है। 

जब तक परशु में धार है

होती न तेरी हार है, 

तू वीर की संतान है

तूणीर में भी वाण है। 

क्यों हो गया तेवर तुम्हारा नर्म है 

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है। 



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