सब बिखरे हुए हैं
सब बिखरे हुए हैं
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उन राहों में धूल बन सब बिखरे हुए हैं
मंजिल पे पाँव रख सब निखरे हुए हैं।
उस रेत की फिसलन पे सब ठहरे हुए हैं
धीमी बेरंग पंखुड़ियां भी सब गहरे हुए हैं।।