STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Tragedy

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Tragedy

नगर की गलियोंमें

नगर की गलियोंमें

1 min
7

तेरे प्यार के लिये मै बावरी बनी हूं,

नगर की गलियोंमें तुझे ढुंढ रही हूं।


दिलमें तेरी तस्वीर लेकर घुमती हूं,

तुजे देखनेके लिये मै बेबस बनी हूं।


विरह की वेदनासे तड़पती रहेती हूं,

नगर की गलियोंमें तुझे ढुढ रही हूं।


तारें गीन गीन कर रातें बिताती हूं,

तेरे ही खयालोंमें डूबती रहेती हूं।


तेरे मिलन के लिये प्यासी बनी हूं,

नगर की गलियोंमें तुझे ढुंढ रही हूं।


तेरे बीना अब मै अधूरी बनी हूं,

सूमशान जीवन मै बिता रही हूं।


"मुरली" तेरी बांहोंमें सिमटना चाहती हूं,

नगर की गलियोंमें ढुंढ तुझे ढुंढ रही हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance