भूख प्यास
भूख प्यास
भूख प्यास की तालमेल में
अधमरे के जैसा
टप-टप गिरते पसीना
मैं ऊर्जाहीन के जैसा,
उसने कहा उठ जा
कहिं और जाके तू मर
सुखा कंठ रेगिस्तान के जैसा
कैसे रहूं इधर
होंठ की पपड़ी
नाख़ून से नोंचू
खुनी जैसा
पैर के छाले पे कपड़ा बांधा
कातिल जैसा,
आँखे लाल टमाटर
मुँह काला कौआ जैसा
पीठ में पेट चिपका
किताब के पन्नों जैसा,
जला कलेजा अफ़सोस
पानी क्यों पिया
छन से लगा होंठ जला
रो पड़ा चाय पिया
रोटी खिलाया
भगवान था
भिखारी जैसा
बोला क्यों रोते हो
मैं भी हूँ तुम्हारे जैसा।