ड्रंकर
ड्रंकर
पीते भी हो पिलाते भी हो शराब ही तो है
कोई अमृत तो नहीं जो पैसा लुटाते हो,
ग़म तो भूल ही जाते थकान मिट जाने से
अच्छी नींद भी आती होगी भुलाने से,
अच्छा करते हो तनावमुक्त होके सो जाते
या भटकते लड़खड़ाते कहीं चले जाते,
तुम्हारे जैसे जितने भी होंगे ख़ुश बहुत होंगे
वाह क्या बात है मैं तो सिर्फ़ अमृत पीता,
घंटो लाइन में लगते मेहनत करते
तब जाके कहीं नंबर आता ख़रीद के खुश हो जाते,
मेहनत की कमाई का थोड़ा हिस्सा ही तो है
बदले में अनगिनत ख़ुशियाँ ख़ुश हो पाते,
फ़ायदा तो हुआ अब तक नुकसान भी होता
नशे में चूर अपने रिश्ते नाते भूला जाते,
कभी तो ऐसा होता अपनों को ही बेच जाते
माँ, बाप, बहन, भाई, बीवी, बच्चों को रुलाते,
या फ़िर ख़ुशियों के जाने से ग़म को आने से
शराब को अमृत समझ पीते और पिलाते,
पैसा ना होने से ऐसे लोगो के संपर्क में आते
जो भ्रष्टाचार अत्याचार से पैसा कमाते,
नशा कर हत्या, लूट,अपहरण, चोरी, बलात्कार
जैसे अपराध को अंजाम या साथ दे जाते,
अच्छा करते समाज में भ्रष्टाचार अत्याचार करवाते
ख़ुद भी करते पैसा कमाते लुटाते,
आने वाले पीढ़ी के भविष्य को भी खत्म कर
मुस्कुराते अफ़सोस करते पीते और पिलाते,
सरकार भी ना जाने कैसे बनवाते वोट दे जाते
ख़ुद भी अत्याचार करते और सबसे करवाते,