कैसे ये लोग
कैसे ये लोग
हर बात को पैसे से तोलने लगे है लोग.
कभी प्याऊ लगाते थे अब बोतल में पानी बेचने लगे है लोग
मानवता ने रिश्तों को शर्मसार किया है
चार पैसे कमा खुद को खुदा अब समझने लगे है लोग
झूठी दुनिया में सच्चाई को भूल गए है
सड़क पर मरते लोगों के साथ भी सेल्फ़ी लेने लगे है लोग
अतिथि देवो भव: पहचान थी जिस देश की
एक गिलास पानी को भी दरवाजे पर दुत्कारने लगे है लोग
