बूढ़े खिलौने
बूढ़े खिलौने
बच्चे बड़े हो गए इतनी जल्दी
खिलौने बूढ़े हो गए इतनी जल्दी
सारी उम्र कट गई बनाते खिलाते
अब सुनते हैं काश वृद्धाश्रम छोड़ आते
गुड्डे-गुड़ियों की कोई न कमी थी
शायद मेरी परवरिश में ही कमी थी
खिलौनों को मिला शोकेस में स्थान
मेरा वजूद बस वही शमशान
सोचा था बच्चे पढ़ेंगे, समझेंगे
मेरे बच्चे समझदार बनेंगे
पढ़ें भी, बढ़े भी, समझदार बने भी
लेकिन मैं तो समझदार नहीं बनी।
