मैं नारी हूँ तो क्या
मैं नारी हूँ तो क्या
1 min
366
मैं नारी हूँ
तो क्या?
समाज, घर, द्वार, संसार मेरा नहीं।
मैंने भी संघर्ष किया है
झेली हैं
पीड़ाएँ अनगिनत
पर कहा नहीं
चुपचाप सह लिया
यूँ ही
अपना समझकर।
आपने क्या किया?
मुझे ही दोषी ठहरा दिया
अपने ही घर में,
क्योंकि मैंने सभ्यता का जनन किया?
ताकि सही राह मिल सके
आपको
आपके समाज को।
मैं दोषी नहीं
बस निर्बल हूँ
ड़रती हूँ
थोड़ा अपमान से।