वेदना के संग-संग क्रोध भी ज़रूर है असमंजस के साथ पाहन बोझ भरपूर है वेदना के संग-संग क्रोध भी ज़रूर है असमंजस के साथ पाहन बोझ भरपूर है
जल का स्त्रोत ही समझ लो क्या भविष्य की प्यास दिखाई नहीं देती ? जल का स्त्रोत ही समझ लो क्या भविष्य की प्यास दिखाई नहीं देती ?
हर वो हाल के हल होंगे मेरे इस हालत का क्यों नहीं हर वो हाल के हल होंगे मेरे इस हालत का क्यों नहीं
ये खत भी तुम्हें देखकर नजरें झुकाए। ये खत भी तुम्हें देखकर नजरें झुकाए।
लड़खड़ाते थे कदम कभी, अब संभलने लगे हैं हम। लड़खड़ाते थे कदम कभी, अब संभलने लगे हैं हम।
हाँ ये गहराई परछाई ये रात सी मोब्बत। हाँ ये गहराई परछाई ये रात सी मोब्बत।