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Wagisha Adishree

Tragedy

4.4  

Wagisha Adishree

Tragedy

स्त्री

स्त्री

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औरत की यह व्यथा रही है,

उसके सुख दुःख की यह कथा रही है।

बांध कर उसके पैरों मे घुँघरू 

किसने ये तान छेड़ी है ?

ये समाज तो उसका दुश्मन है

क्योंकि घुंघरू नहीं ये बेड़ी है।


कब तक कोई रावण आएगा ?

लक्ष्मण रेखा से छल कर,

सीता को हर ले जाएगा 

रावण का तो बस शरीर अंत होगा

पर सीता की आत्मा भेद जाएगा

बांध सीता के पैरों में नूपुर

किसने ये तान छेड़ी है ?

ये समाज तो उसका दुश्मन है

क्योंकि नूपुर नही ये बेड़ी है।


संशय है इस बात का मुझ को 

की अब कोई राम और कृष्ण आएगा 

कलुयुग में सीता और द्रौपदी तो होंगी 

पर उनकी लाज कौन बचाएगा।

बनना होगा सीता को काली ,

द्रौपदी दुर्गा बन अपनी लाज बचाएगी।

बांधने चले है ये मेरे पैरों में घुंघरू

जिसने ये तान छेड़ी है 

नकार दिया है मैंने उनको,

क्योंकि घुंघरू नही ये बेड़ी है।



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