न जाने क्यूं ,बेज़ुबान घुँघरू की बोली हमें कुछ जता रही थी। न जाने क्यूं ,बेज़ुबान घुँघरू की बोली हमें कुछ जता रही थी।
'बारिश का मौसम हर किसी के दिल को लुभाता है, बारिश के मौसम में इन्सान को अपने बीते लम्हे याद आ जाते ह... 'बारिश का मौसम हर किसी के दिल को लुभाता है, बारिश के मौसम में इन्सान को अपने बीत...
कलुयुग में सीता और द्रौपदी तो होंगी पर उनकी लाज कौन बचाएगा कलुयुग में सीता और द्रौपदी तो होंगी पर उनकी लाज कौन बचाएगा
राग की सरगम छेड़ते हो जब दीप दिलों में जलते हैं। तान अलाप जो लेते हो जब मन में घुंघरू बजते हैं।। राग की सरगम छेड़ते हो जब दीप दिलों में जलते हैं। तान अलाप जो लेते हो जब मन मे...
भयभीत, कांपता, अपनी छत पर, दौड़ा.. भयभीत, कांपता, अपनी छत पर, दौड़ा..
उसकी आवाज पर मैं झूमी थी, उसकी एक आस में कई रात तड़पी थी, उसकी आवाज पर मैं झूमी थी, उसकी एक आस में कई रात तड़पी थी,