बेरोजगार
बेरोजगार


चढ़ती जी रही है परवान भारत तेरी आबादी।
रोक लगा दे इस पर जल्दी मत बन तू अवसरवादी।
हिन्दु ,मुस्लिम,सिख, इसाई सबको यह समझाओगे,
बच्चे दो ही अच्छे अपना जीवन सुखी बिताओगे,
नौकर पेशा, मजदूरी हो चाहे वो खादी वादी।
रोक लगा दे ....
लोगों धर्म की आड़ में अपना जीवन न बर्बाद करो,
सिर पर डंडे पड़े तुम्हारे इतनी न औलाद करो,
अमन चैन तो खत्म हो चुका खो देना मत आज़ादी।
रोक लगा दे .....
धरती माता चीख-चीख कर कई बार है चिल्लाई,
देख के मौका इसी लिए महँगाई ने चादर फैलाई,
लगता है अब इस धरती पर रहा न कोई फौलादी।
रोक लगा दे ....
बेरोजगार आतंकवाद की दिन-दिन बढ़ती आशाएं ,
जा रहीं फैलती फैलती चारों ओर इसकी बरगद सी शाखाएं,
है यहाँ तुम्हारी भारत माँ ना कोई सुरक्षित शहजादी।
रोक लगा दे .....