मेरे देश के वीर जवान
मेरे देश के वीर जवान
देश की रक्षा की खातिर वो कई रात तक कहां सोता है
रात की नींद और दिन का चैन कहां उन्हें नसीब होता है
तब जा के इस देश का नागरिक शांति से सोता है
वो हमारे सरहद का पहरेदार हार कभी नहीं मानता है
सर्दी हो या गर्मी हर मौसम में चट्टानों के जैसे अड़ा रहता है
कई दिन और रात तक भूखे पेट भी बंदूक ताने खड़ा रहता है
देश के खातिर विरान जगह पर तैनात रहता है
क्या ख़ुशी क्या ग़म उसे कहां कुछ खबर होता है
आज़ादी ऐसे कहां मिलती है, कितने लहू से यह मिट्टी सिंचा जाता है
तब जाकर दुश्मनों के चंगुल से मुक्ति मिलती है
दुश्मनों के दांत खट्टे करने को तैयार रहते हैं हमारे वीर जवान
तूफानों से कभी हार मानकर पीछा नहीं छुड़ाते हैं
सीने में लगे कई गोलियां सहकर भी अपना कर्तव्य निभाते हैं
अपनी जज्बा और वीरता दिखाकर तिरंगा उंचा फहराते हैं
देश की आबरू बचाने की खातिर ख़ुद का मोह भी भूल जाते हैं
वतन शांति से सो पाये इसलिए सारा सुख त्याग भूल जाते हैं
घर में है लाचार मां, पिता अब बूढ़े हो चले हैं
पत्नी है कब से पलकें बिछाए हुए, नन्हा सा बच्चा उसे है याद कर रहा
पर उसे है कहां कुछ ख़ोज ख़बर
राष्ट्र धर्म अभी है वह निभा रहा
देश की खातिर वह कभी अपने जान की परवाह कहां करता है
सीने में गोली खाकर हंसते हुए कुर्बान हो जाता है
फिर एक दिन तिरंगे में लिपटकर अपने माता-पिता,
विधवा स्त्री और दूध मुंहे बच्चे से मिलने आता है
फिर भी किसी को कहां है फ़िक्र
पिता का छाती गर्व से फूल जाता है
मां कहती भारत मां के लिए ही तो इसका जन्म हुआ था
पत्नी कहती मुझे नाज़ है तुम पे मैं एक शहीद की पत्नी हूं
आज मैं अपने बेटे को तुम्हें सौंपती हूं
एक दिन यह भी अपने पिता जैसे फ़ौजी बनेगा
और एक-एक कर सभी दुश्मनों के दांत खट्टे करेगा
भारत मां की रक्षा के खातिर आज एक ज़बान शहीद हुआ
तिरंगा उंचा रहे हमारा इस खातिर अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया
भारत मां के लाडले को, सरहद के रखवाले को, जिसने अभी-अभी वीरगति पाई है
उस सच्चे देशभक्त को भारतवर्ष के नागरिकों के ओर से शत शत नमन।