मेरे सपनों का साम्राज्य
मेरे सपनों का साम्राज्य
बहुत सिद्दत से मैंने सपनों का साम्राज्य खड़ा किया
उसमें मैंने अपने भावनाओं का फैलाव किया
कितने सपने आये और कितने सपने टूट गए
बिखरे हुए मोती के जैसे मैंने सपनों को इकठ्ठा किया
भावनाओं से ओतप्रोत होकर मैं कितने रात सो न पाती
जिसे सींचा था अपने मेहनत के पसीने से
वो एक पल में ही मेरे हाथ से छूट गए
बिखरे हुए मोती के जैसे मैंने फ़िर से उम्मीदों का एक पहाड़ खड़ा किया
हो ना जाये कुछ अनहोनी, इस खातिर मैंने नींद को बर्बाद किया
तब जाकर मैंने एक बार फिर से सपनों का साम्राज्य खड़ा किया।
