न मान करो न सम्मान करो न पदक न पत्र ही मेरे नाम करो न मान करो न सम्मान करो न पदक न पत्र ही मेरे नाम करो
मजबूरी के नाम पर हर तक़लीफ़ सहते है मजबूरी के नाम पर हर तक़लीफ़ सहते है
जाने कब मैं देखते ही देखते बड़ी हो गयी हूँ फिर भी रही नन्ही मुन्नी गुड़िया मैं तेरी नज़रों में जाने कब मैं देखते ही देखते बड़ी हो गयी हूँ फिर भी रही नन्ही मुन्नी गुड़िया मैं ...
मां मां की आवाज़ कानों में ऐसे बसी थी दिल को तो मां सुनने की आदत पड़ी थी, सुबह से र मां मां की आवाज़ कानों में ऐसे बसी थी दिल को तो मां सुनने की आदत पड़ी थी, ...
जिसके बेटे और पति छोड गये है वह गलियां क्या उस गांव में कोई औरत अकेले रह सकती है...? और इन सबका कसूर... जिसके बेटे और पति छोड गये है वह गलियां क्या उस गांव में कोई औरत अकेले रह सकती है...
वे उस देश के बेटे हैं जिस देश को भारत कहते हैं। वे उस देश के बेटे हैं जिस देश को भारत कहते हैं।