Yaswant Singh Bisht
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उसके बेटे उसे
छोड़कर जा चुके हैं
उसका पति अब
नहीं रहा
पूरे गांव में अकेले
वह
नहीं रह सकती...
वीरान शहर
जहर कहां गया
गरीबी
मानवता
कसूर किसका
खुशी के पल
दीया
छत में चाँद