Yaswant Singh Bisht
Tragedy
उस छत में
दो कबूतर
रहना चाहते हैं,
जिसकी
जमीनी मंजिल वाले
किरायेदार
किराया न देने पर
निकाले गए,
मानवता मर गई
क्या कोई सुबूत है
अब उन कबूतरों का क्या होगा?
वीरान शहर
जहर कहां गया
गरीबी
मानवता
कसूर किसका
खुशी के पल
दीया
छत में चाँद
मेरे जज्बातों से खेलकर भी वो जश्न कोई मना न सके। मेरे जज्बातों से खेलकर भी वो जश्न कोई मना न सके।
मेरे घर में है दिया तले अँधेरा , तेरे घर में भी है दिया तले अँधेरा। मेरे घर में है दिया तले अँधेरा , तेरे घर में भी है दिया तले अँधेरा।
हद से भी ज्यादा हमने उन्हें चाहा था वफा होने पर भी हमें बेवफा कहा था। हद से भी ज्यादा हमने उन्हें चाहा था वफा होने पर भी हमें बेवफा कहा था।
ओर आज फिर उठ गया उसी कोने में दर्द ज़ोर से।। ओर आज फिर उठ गया उसी कोने में दर्द ज़ोर से।।
अब और न कर तू लतीफी, बदल गया जिया शाख तेरी। अब और न कर तू लतीफी, बदल गया जिया शाख तेरी।
इनमें से कुछ नहीं मिलता अब, सिवाय तुम्हारी याद के ! इनमें से कुछ नहीं मिलता अब, सिवाय तुम्हारी याद के !
वहीं सन्तान हैं हम उनके जिन्हें हम अपने से किनारे कर रहे हैं वहीं सन्तान हैं हम उनके जिन्हें हम अपने से किनारे कर रहे हैं
कांटों पर चलते हंसी का मरहम लगाते उम्र पूरी बितानी ही पड़ेगी। कांटों पर चलते हंसी का मरहम लगाते उम्र पूरी बितानी ही पड़ेगी।
आज का बीता हर लम्हा पतझड़ सा उजड़ गया अब ढलती शाम में इसे बसंत कर लीजिए आज का बीता हर लम्हा पतझड़ सा उजड़ गया अब ढलती शाम में इसे बसंत कर लीजिए
सब्र में टूटा नहीं जज़बातों के ऐतवार से, तेरी खबर तक न लौटी यूं तेरे इंतजार में। सब्र में टूटा नहीं जज़बातों के ऐतवार से, तेरी खबर तक न लौटी यूं तेरे इंतजार म...
काश! गाँव गाँव में रहता शहर न बसने आता इतिहास अलग होता! काश! गाँव गाँव में रहता शहर न बसने आता इतिहास अलग होता!
लोगों की फितरत समझ नहीं आती है टूटे शीशे से सही तस्वीर नजर आती है लोगों की फितरत समझ नहीं आती है टूटे शीशे से सही तस्वीर नजर आती है
हकीकत यूं तमाचे सा आया मेरी जिंदगी में क्योंकि उसे मुझसे इश्क हुआ ही नहीं था। हकीकत यूं तमाचे सा आया मेरी जिंदगी में क्योंकि उसे मुझसे इश्क हुआ ही नहीं था...
प्रभु की अनोखी कृति, द्वितीय गीता है माँ। प्रभु की अनोखी कृति, द्वितीय गीता है माँ।
मिट्टी को बनाया पेड़ के लिये ये राज है क्या ये गहरा मिट्टी को बनाया पेड़ के लिये ये राज है क्या ये गहरा
तुमने मुझसे जो वादा किया था वह पुराना हो गया, लूटा तुमने वजूद मेरा अगर तो एक सहर क्यों होगा! सा... तुमने मुझसे जो वादा किया था वह पुराना हो गया, लूटा तुमने वजूद मेरा अगर तो एक स...
चाईनीज झालर की बल्बो का चौंधियापन छोड़। चाईनीज झालर की बल्बो का चौंधियापन छोड़।
आरम्भ से अंत तक अविनाशा। जीवन से नहीं कोई अभिलाषा। आरम्भ से अंत तक अविनाशा। जीवन से नहीं कोई अभिलाषा।
इसलिए हमेशा जुड़ते हैं शब्द इस फेहरिस्त में। इसलिए हमेशा जुड़ते हैं शब्द इस फेहरिस्त में।
मैं अपने जिंदगी का एक अंश उनके नाम कर दूंगा। मैं अपने जिंदगी का एक अंश उनके नाम कर दूंगा।