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Yaswant Singh Bisht

Others

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Yaswant Singh Bisht

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छत में चाँद

छत में चाँद

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मेरे घर की छत में 

चाँद आया

आधा नहीं, पूरा चाँद

उसकी चाँदनी फैली

चारों ओर


हाँ, चाँद की चाँदनी

चाँद न ही पुरुष है

न ही चाँदनी महिला

अगर होते तो क्या

चाँदनी अपने यौवन में,

सबरीमाला जा पाती

या चाँद मन मर्ज़ी से,

तीन तलाक दे सकता 


खैर जो भी हो

चाँदनी का चाँद या

चाँद की चाँदनी 

मगर मेरे घर की छत में

चाँद खूब खिला है



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