वीर की विनय
वीर की विनय
वीर कहो न शहीद कहो
न नाम मेरे कोई मौन रखो
जिसकी ख़ातिर मैंने प्राण तजे
उस माँ की नित सेवा में रहो
न मान करो न सम्मान करो
न पदक न पत्र ही मेरे नाम करो
न परिजन को निधि दान करो
तुम चाहे जो भी कार्य करो
बस माँ के आंचल का ध्यान रखो
वो सेवा शर्तें वो नियुक्ति नियम
सरकारी सारे कागज़ हैं कम
चाहें जो मातृ सेवा का मूल्य
तो बेटे नहीं चाकर हैं हम
बस अदना सा एक निवेदन है
माँ की सेवा मैं हो के मगन
भूला बाकी सारे रिश्ते हर दम
उनकी जो हो जाये आँखें नम
हिम्मत दे देना उनको तुम