जिद
जिद
दोनों को जिद प्यारी थी
दुनिया में दिखता था ऐसा,
दोनों में ख़ुद्दारी थी,
तेरा मेरा करते करते,
ख़त्म बहस को करते करते,
दोनों एक दिन लड़ बैठे,
शिकवा शिकायत कुछ भी न था,
आपस में मिलने का मन था,
ज़ुदा ज़ुदा बैचेन थे दोनों,
पहले बात कौन करेगा,
जंग इसी पर ज़ारी थी,
इश्क़ बचा न फिर दोनों को,
अलग भी होना ठहरा था,
मगर किसे ज़ालिम कहना है,
इस पर दावेदारी थी।