ये काग़ज़ी दिल मेरा
ये काग़ज़ी दिल मेरा
ये काग़ज़ी दिल मेरा,
लोग आते जाते अपने नाम लिखते हैं,
फिर कुछ दिनों बाद,
या तो वो नाम खुद अजनबी बन जाते हैं,
या फिर मिट जाते हैं,
खो जाते हैं,
कहीं सिलवटों पर।
ये काग़ज़ी दिल मेरा,
जाने कितनी यादों को समेटे बैठा है,
किसी दिन ज़ोर की बारिश हुई,
आंसुओं की लहरों के चपेटे में आ गया,
और कमज़ोर हो गयी इसकी सतह,
रात भर मोमबत्ती की लौ को देखती रही मैं,
ताकि उसकी गरमाहट से सूख जाए,
इसकी सतह।
ये काग़ज़ी दिल मेरा,
सपनों और कविताओं की पंख लगाए,
उड़ जाना चाहता है,
एक आजाद परिंदे की तरह,
पर जाए तो जाए कहां,
नाज़ुक है न, नादान सा,
ये काग़ज़ी दिल मेरा।
कभी फुर्सत मिले तो,
आ जाना पढ़ने किसी दिन,
वो जो लिखा है और
लिख जाना वो जो नहीं लिखा है,
साथ में एक फूल लेते आना ज़रूर,
पन्नों के बीच में कहीं छुपा जाना,
ये काग़ज़ी दिल मेरा,
रखेगा संभाले उस फूल को,
जैसे रखा है तुम्हारी पंक्तियों को।