विद्यारम्भ
विद्यारम्भ


विद्यारम्भ छोटे छोटे डग भर कर पाना है आकाश
निश्चल तन मन लेकर आया ज्ञान भवन के पास
नित्य कर्म से करना होगा विद्या का अभ्यास
मानव से मनु बना सके ये विद्यालय से आस
जीवन यात्रा नहीं सरल है इसका है विश्वास
अंधियारे से थम जाये जब जीवन की पदचाप
ज्ञानदीप से पाना होगा सात्विक श्रेष्ठ उजास