STORYMIRROR

Swati Grover

Drama Classics Inspirational

4  

Swati Grover

Drama Classics Inspirational

सुन ! मेरे बाबुल

सुन ! मेरे बाबुल

1 min
333

मुझे जीवन में कोई राम नहीं चाहिए

मुझे भी जीवन में आराम चाहिए

घर से ऑफिस, ऑफिस से घर कर नहीं सकती

गर्भावस्था में कोई वनवास कर नहीं सकती

आत्मनिर्भर होना मर्ज़ी होनी चाहिए


मेरी मज़बूरी नहीं

घर की खिड़की बनना है खंभे नहीं

लक्ष्मण रेखा मेरी सुरक्षा के लिए हो

शोषण के लिए नहीं

पति पति ही रहे परमात्मा नहीं

सुन ! मेरे बाबुला


मुझे जीवन में कोई श्याम नहीं चाहिए

मुझे शृंगार में विरह नहीं चाहिए

साथ रहकर भी ज़िन्दगी तन्हा नहीं चाहिए

प्रेम रहे पर प्रेम की पराकाष्ठा में मन दुःखी न हो

एक उल्लासित शोर रहे इतनी ख़ामोशी न हो

सुन ! मेरे बाबुला


बेटियाँ बोझ होती नहीं बना दी जाती है

एक ज़िम्मेदारी है जो वक़्त-बेवक़्त निभा दी जाती है

हमें भी स्वतंत्र होकर जीने का अधिकार चाहिए

हमें भी आधा-अधूरा नहीं पूरा आसमां चाहिए

बाबा अपने बाल चिंता में नहीं

धूप में सफ़ेद करो


इस फूल को किसी पुरुषोत्तम या

देवता के चरणों में अर्पित न करके

जिसे कद्र या सब्र हों

ऐसे साधारण के सर-माथे धरो

सबको पता है


बेटियाँ कुदरत की नेमत है

पर उसका यह डर कभी कम नहीं होता

कहने को तो दो घर है

पर बेटियों का कोई घर नहीं होता !

कोई घर नहीं होता !


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Drama