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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Romance

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Romance

"तू प्रीत जताती है"

"तू प्रीत जताती है"

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तेरी बिंदिया सुहाती है,

तू चूड़िया खनकाती है।

तेरे अधरों पर मुस्कान खिले,

तू प्रीत जताती है।।


तू कंगना खनकाती है,

जब जब मुस्काती है।

तिरछी नज़रों से देख मुझे,

तू प्रीत जताती है।।


तेरी प्यारी अदाओं से,

मेरी निंदिया उड़ जाती है।

जब जुल्फ़ें तू लहराए,

तू प्रीत जताती है।।


प्रीत की बातें मैं करता,

तू शरमा सी जाती है।

तू भाग कर छुप जाए,

तू प्रीत जताती है।।


कभी कभी मेरी बातों पर,

तू नाराज़ हो जाती है।

जब वादों को याद दिलाऊँ,

तू प्रीत जताती है।।


तू प्रेम संबंधों को,

कितना पवित्र रखती है।

बस दिल के गहराई से,

तू प्रीत जताती है।।


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