कनवा सोना बलिया पहिनली सेजिया तड़पे हमरो अंगवा सजना बुझे ना मनवा कनवा सोना बलिया पहिनली सेजिया तड़पे हमरो अंगवा सजना बुझे ना मनवा
बंधे रहे इसमें हम चाहे छूट जाए जग सारा। बंधे रहे इसमें हम चाहे छूट जाए जग सारा।
कवि लिख रहे हैं छंद, लगता है आ गया वसंत। कवि लिख रहे हैं छंद, लगता है आ गया वसंत।
टिकुली ले अइह लाल लाल ये सइया आ गईले फगुनवा टिकुली ले अइह लाल लाल ये सइया आ गईले फगुनवा
बागों में झूला झूलें सब, बिन ब्याही नव सखियां। बागों में झूला झूलें सब, बिन ब्याही नव सखियां।
पर पता नहीं कैसे तेरे ना होने पर भी तेरा होना महसूस कराती है। पर पता नहीं कैसे तेरे ना होने पर भी तेरा होना महसूस कराती है।