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Anupama Gupta

Tragedy

4  

Anupama Gupta

Tragedy

वो दिन पुराने

वो दिन पुराने

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बेचैन मन

 सदैव 

कुछ ढूंढता 

रहता है

शायद खो गई है


कोई चीज़

जिसे पा लेने की 

बेचैनी है

कुछ पुरानी बातें

 जो रह गई है

बस यादों की 

धरोहर बनकर।


नहीं भाती है 

ये आधुनिकता

ये नवीनता

अक्सर मन 

चल पड़ता है 


पिछले पड़ावों पर

बड़ी दूर 

तक खोज 

आता है उन्हें

लेकिन निराश

और पूछता है 

कहाँ गये वो

दिन पुराने !

कैसे भूल गये

वो अफ़साने !


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