STORYMIRROR

Juhi Grover

Romance Tragedy

4  

Juhi Grover

Romance Tragedy

तुम

तुम

1 min
237

मेरी यादों से उतर गये थे कब से तुम,

फिर ख्वाबों में आ के क्यों सताते हो,

जिन अल्फाज़ों को छोड़ चुकी थी मैं,

बार बार कानों में तुम क्यों दोहराते हो ?


जानते थे तुम भी और जानती थी मैं,

बार बार ये तराना क्यों गुनगुनाते हो,

वो जिन ख़्यालों का कोई मतलब नहीं,

बार बार आ के एहसास क्यों जगाते हो ?


चले ही गये थे तुम, चले ही जाओ तुम,

बार बार आ के दिल को क्यों बहलाते हो,

कि जान गईं हूँ मैं आओगे नहीं अब तुम,

यूँ चेहरा अपना बार बार क्याें दिखाते हो ?


मेरी यादों का आईना मत बनो अब तुम,

बार बार इन्तज़ार के पल क्यों गिनवाते हो,

तुम्हारे बिना जीना सीख ही तो गई थी मैं,

फिर ख्वाबों में आ कर के क्यों सताते हो ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance