इन्तज़ार में तेरे मन्ज़िल राह तकती रह गई। तू ना आया ऐ मुसाफ़िर रौशनी भी ढह गई।। इन्तज़ार में तेरे मन्ज़िल राह तकती रह गई। तू ना आया ऐ मुसाफ़िर रौशनी भी ढह गई।।
तुम्हारे बिना जीना सीख ही तो गई थी मैं, फिर ख्वाबों में आ कर के क्यों सताते हो ? तुम्हारे बिना जीना सीख ही तो गई थी मैं, फिर ख्वाबों में आ कर के क्यों सताते ह...
मुझे खामोशी मानोगे तो मैं खामोश हूँ मुझे खामोशी मानोगे तो मैं खामोश हूँ
ज़िन्दगी में आँसू बहुत है, इक खुशी की झलक ही बाकी है, ज़िन्दगी में आँसू बहुत है, इक खुशी की झलक ही बाकी है,