STORYMIRROR

Amrita Mallik

Tragedy

4  

Amrita Mallik

Tragedy

प्रमाण - पत्र

प्रमाण - पत्र

1 min
224


उपाधि प्रमाण-पत्र तो हैं बहुत सारे,

जानकारी है विस्तार से हर एक विषय पर,

घमंड से पैर न पड़े ज़मीन पर,

छाती फूल जाए मेरी ऐसे शान से,

दुनिया की कमियां यूँ दिखा दूं,

कैसे सुधारें अनचाही मुसीबतें, बता दू झट से !


जब आये घातक आंधी अचानक से ज़िन्दगी में,

न दिखे वो दीवार पे लटकती हुई मोहर,

न ही दे वो मुझे झूठी तसल्ली,

उलट-पलट कर रख दिया सब कुछ,

तब आई अक्ल ठिकाने मेरी,

विद्वान तो बनी, पर इंसान न बन पाई !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy