हिचकी
हिचकी
उत्साहित थी, उत्तजेना से भरपूर
जब आयी खुशी की वोह खबर..
दिखाना है अब मुझे सारी दुनिया को
एक लड़की जब खुद को लगाम दे
तो कितना दूर, कितनी बाधा अतिक्रम कर सकती है..!
हिचकी का क्या कसूर, आना ही पड़ा उसी वक़्त !
व्यग्रता से है दिमाग भारी, क्या और कैसे करें सब कुछ !
हड़बड़ी में खाने की सजा तो भुगतना ही है
अब क्या है खाने का वक़्त,अब तो है खुशी से झूमने का..!
पूरे आयोजन और तैयारी के साथ है परिक्षा में है जाना..!