नजदीकियां
नजदीकियां
काश होती कोई दवा या कोई जादू,
जो बाजार में मिल जाते आसानी से
मन पढ़ कर सब कुछ जान जाते
तो कितना भी समस्या हो,
सब सुलझ जाती आसानी से
नजदीकियां बढ़ाने की चिंता न सताती,
चाहे किताबों से हो या रिश्तों से ।
निकटता बिना जीना क्या?
लेकिन होता नहीं है ऐसा कुछ भी,
दुनिया कितनी भी आगे बढ़े,
करीब आने के लिए कदम,
खुद को ही उठाना पड़ता हैं
झुक कर , बीती बातों को भूल कर,
क्षमा करके, हंस कर,
खुद को ही हाथ आगे बढ़ाना पड़ता है ।
अजीब है ज़िन्दगी के नियम,
अकेले इंसान सा गरीब कोई नहीं...
एक दोस्त , एक हमराही सबको
चाहिए रहता हैं ज़िन्दगी को खुशहाल बनाने के लिए..