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Neeru Nigam

Inspirational

4.0  

Neeru Nigam

Inspirational

नारी

नारी

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पहचान एक, नाम अनेक, 

स्वरूप एक, किरदार अनेक, 

जाने कैसे निभा लेती है नारी 


शरीर से नाजुक होते हुए भी, 

मन से, इरादो से, 

कैसे इतनी मजबूत होती है नारी 


कभी दुनिया की सबसे ऊंची,

चोटी पर चढ़

'बेचेन्द्री ' बन गर्व महसूस कराती नारी। 


कभी अपने वतन की आन बचाने को, 

 हाथ में तलवार पकड़, 

' मनिकर्निका '' बन झाँसी बचाने निकल जाती नारी ।


कभी अपनी सुरीली आवाज़ का जादू बिखेर, 

'लता ' के नाम से, सारी दुनिया पर, 

हुकुमत करती नारी। 


कभी राजनीति के चौसर पर, 

'.इन्दिरा ' बन राजनीति के, 

नये आयाम सि

खाती यह नारी। 


कभी अपनी खूबसूरती के दम पर, 

अपने देश का '' ऐश्वर्य' बढा,

सुन्दरता के नये आयाम बनाती नारी। 


कभी हवा से बाते कर, 

 रफ्तार का एक नया नाम ,

'ऊषा 'बन जाती नारी। 


कभी एक ही पैर के दम पर, 

हर ताल पर थिरथिरा 

' सुधा' के नाम से सबको अचम्भित करती नारी। 


कभी अपने शब्दों की पकड़ से, 

अमृता बन, ना जाने कितने ही, 

ख्यालो को पन्नो पर उतार देती नारी। 


कभी अपने तेज दिमाग का जादू दिखा, 

शकुन्तला का नाम लिये, 

कम्प्यूटर को पछाड़ देती नारी। 


 कभी आकाश की ऊँचाई से परे, 

'कल्पना ' बन अंतरिक्ष को छू लेती नारी।


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