बीता कल
बीता कल
सब कहते है,
बीते कल की बात करना,
मतलब खुद को दुख देना,
सब कहते है,
सब समझाते हैं,
आज में जीओ,
कल को भूल जाओ,
मगर मेरा नासमझ मन पूछता है,
क्या कोई 'आज' बीते कल के बिना आया है
मैं पूछती हूँ, सभी से,
क्या बीते कल के बिना,
सम्भव था, किसी भी आज का अस्तित्व
हर बीता हुआ कल,
हमारे आज की बुनियाद है,
क्या किसी को भी,
बीते कल के बिना,
एक भी आज याद है
जब हर बीता हुआ कल,
है आज का परिणाम,
फिर कैसे, तुम्हें है सिर्फ आज से ही काम,,
कैसे अपने आज से,
बीते हुए कल को कर दूँ अनजान
हर सफल व्यक्ति के,
आज को तुम हो जानते,
मगर उसके सच को जानने को,
सफलता के राज को जानने को,
उसके बीते हुए कल को ही,
तुम भी हो खंगालते।
जिसे तुम आज जी रहे हो,
आने वाले कल में,
वह भी तो बन जाएगा इक और बीता कल,
कहां ढूंढोगे , कहां पाओगे तुम,
कोई भी आज,
जिसका ना हो कोई भी कल।
जब किसी भी आज का,
कल बिना नहीं है कोई भी महत्व,
तो क्यों यह बेमानी बात करना,
के आज में जीओ, कल कि बात मत करना,
सच कहूँ तो,
आज की उमर चंद घंटों की,
और कल की उमर,
महीनों, सालो की।,
यह बीता कल छिपाए रखता है,
अपने अंदर इक पूरा इतिहास,
हर आज कही ना कही,
बीते कल से ही लेता है विश्वास,
हर आज को बीते हुये कल से ही मिलती है सांस,
बीते कल के बिना,
आज मात्र है परिहास,
क्योंकि कल ही आज का आधार,
बीता कल ही देता तेरे आज को आकार,
इसीलिए तो कहती हूँ,
बीते कल के बिना आज का नहीं आधार ।