Sonal Omar

Inspirational

4  

Sonal Omar

Inspirational

गुरु और ज्ञान

गुरु और ज्ञान

1 min
302


(1)

गुरु वंदन कर लगाऊँ, मैं चरणों की धूल। 

वह भी पुष्प बन जाता, जो रहा कभी शूल।। 


(2)

पहला जनम तब पाया, जब देखा संसार। 

दूजा जनम तब पाया, जब गुरु दे संस्कार।। 


(3)

पहली गुरु होय माता, देवे मौलिक बोध।

इससे ही जाना हमने, संसार कैस होत।।


(4)

गुरु बिन जीवन न होवे, मिले न कोई ज्ञान।

अंधकारमय जनम का, गुरु ही है वरदान।।


(5)

ईश्वर से गुरु श्रेष्ठ है, ईश्वर ने दी जान।

जान को कैसे जीना, गुरु देवें संज्ञान।।


(6)

पुरातन काल में विद्या, संस्कृति व संस्कार। 

अब जीविकोपार्जन है, वर्तमान आधार।।


(7)

गुरु वह श्रेष्ठ जो न करे, शिक्षा का व्यापार।

संग किताबी शिक्षा के, ज्ञान भी दे अपार।।


(8)

गुरु के लिए सब सम है, कोई ऊंच न नीच।

बनकर के स्वयं माली, दे हर पौधा सींच।।


(9)

कुम्हार जैसे भू को, देता है आकार।

गुरु वैसे ही शिष्य का, जीवन देत सुधार।।


(10)

गुरु की बातें मानिए, कभी न लीजे आह।

गुरु वाणी अनमोल हैं, दिखावे प्रभु राह।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational