मेवाड़ मुकुट
मेवाड़ मुकुट
राजपुताना ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि ---
रक्त स्राव कि धारा घाव कि पीड़ा।
युद्ध भूमि का पराक्रम, साहस, शक्ति,
शौर्य की प्रतिष्ठा ।।
परिभाषा पहचान, शान,
स्वाभिमान साग्राम का सांगा राणा।।
सूरमा रण का रणनज्यय, महाराथी,
मृत्युंजय सांगा राणा मेवाण मुकुट का नगीना।
राजपूताना संस्कृति संस्कार युग गूंज
शंख नाद माटी का कण कण गवाह ।।
राणा सांगा के रक्त से रणभूमि
चित्तौड़ मेवाण की धन्य धरा लाल।
सौभाग्य भूमि चंदन सी माटी
युग प्रेरणा शिरोधार्य का अभिमान !
उदय नव सूर्योदय का प्रखर निखर प्रचंड प्रवाह
वीर, वीरता के वंस हंस का
धरोहर मेवाण का युवराज ।
सांगा के पराक्रम की पराकाष्ठा का
अक्षुण्ण अभिमान, सिंह।।
जीवन वात्सल्य से ही आंख मिचौली खरलती।
जिंदगी को कभी इतिहास के धरोहरों में समेटता।
कभी पन्ना धाय के त्याग बलिदान कि परीक्षा का परिणाम।
कभी वीरता, धीरता का कायर परिधान.!
पुरुषार्थ की व्याख्या का प्रत्यक्ष प्रामाणिक, पुरुष, काल।
कर्तव्य, दायित्वो के साहासिक उद्देश्यों का विकट विकराल।
विजई, विजेता गिरते, उठते संभलते
जीवन यात्रा के दृढ़ संकल्प के मुस्कान का वृतांत !
उदय का उदित होना मेवाड़ के इतिहास, त्याग बलिदान।
राजपूताना परम्परा के उत्कर्ष वर्चस्व की
वीरता के अंकुरण का अवसर विश्वास।
चैतन्य, जागृति का धरातल आकाश ।
निर्माण की सौम्यता विनम्रता,
साहस कठिन चुनौतियों का वरण ।
विजित करने का संकल्प उदय की
तेज तेजश्वी धैर्य शौर्य सबेरा का महा काल।
काल की निरंतरता के प्रवाह की नई पहचान!
प्रताप चित्तौड़ के स्वर्णिम स्वाभिमान के संसार का उदयीमान ।।
सांगा के संग्राम समर के विकट कराल विकराल पौरुष का पुरुषार्थ ।
राणा प्रताप युग प्रज्वलित प्रेरणा का परम प्रकाश!!
राजपूताना गर्व, शान सूर्योदय उदय उदित भय के बादल
अनिश्चित शक, शंका अविश्वास का आकाश ।
दोलती अवनि के डगमगाते अस्तित्व
अश्मत के विश्वास वारचश्व का खंड खंड ।।
अखंडता की विरासत के अन्धकार के
विहान बैभव भविष्य का आखिर प्रयास ।
पुरुषार्थ की प्रतीक्षा के अगमन की स्वांश!!
मेवाड़ की महत्व महिमा का वीर चित्तौड़ अभिमान की पहचान।।
स्वय वात्सल्य ममता के आंचल की ढाल डर भय से अंजान।
मेवाड़ की आशाओं का सूरज चांद का उदय,
सिंह उदय पन्ना धाय की त्याग बलिदान ।।
स्वर्णिम अध्याय का उत्कर्ष पन्ना राजपूताना
स्वाभिमान की तेज मिशाल मशाल का सत्य सत्यार्थ।
निश्वार्थ, सेवा ,त्याग, बलिदान कि
पराकाष्ठा की पूर्णिमाँ का चांद!!
ममत्व की महान परिवारिस
चित्तौड़ मेवाड़ की धन्य धरोहर।
राजपूताना वैभव का अाधार उदय नये
सुबह की मर्यादा का अक्षुण्ण प्रवाह!l
अक्रंता, क्रूर,कुटिल लुटेरे, सोने की चीड़ीया
भोले भारत भारतीय के भावों को रौंदते ।
खंड खंड में विभक्त खोखले मतभेदों में लाडतै झगड़ते ।।
जिस डाल बैठे कटाते उसी डाल को
भारत में भारतीयो के द्वेष दंभ अहंकार ।
तार -तार शर्म, शर्म सार की नियति,नित्य निरन्तर का पल प्रहर ।।
दिन, महीने, साल युग की शुरुआतll
गजनवी के सत्रह प्रहार के सोम नाथ की कराह।
तैमूर कि क्रूरता का भयाभव, अत्याचार ।।
गोरी के युद्ध कौशल को धूल धूसित करता पृथ्वी पराक्रम
पुरुषार्थ का चौहान गद्दारी धोखे का बलिदान,।।
अल्लाउद्दीन की दुष्टता में नारी मर्यादा पद्मावती ।
राजपूताना वीरांगनाओं के जौहर की ज्वाला में
तपते माँ भारती के आंखो के आंसू का प्रवाह!!
बाबर की विध्वंश, विनाशकारी दमन ,दुष्टता के तांडव का नंगा नाच ।
सत्य सनातन के अवशेषाै कि कराह प्रलाप विलाप!!
रानी कर्मवती का भावो के भाई हुमायूं से रक्षा की व्यर्थ गुहार ।
युग के राणा संग्राम, सांगा, उदय माँ भारती की कोख कि लाज़ लाज़बाब जोद्धा!!
विवसता के धैर्य धरातल के भावों पराजय के रिस्तो का सत्कार।
अकबर विनम्रता सहिष्णुता का छद्म, छल, कपट व्यवहार ।।
संस्कृति, संस्कारों के संस्करण का भारत भारतीयता पर कुटिल चाल!!
राजा मान स्वाभिमान कि शक्ति हस्ती कपट धरातल का अहंकार।
युग को जीवेत जाग्रतम योद्धा की अवश्यक अवश्यकता की चाह राह पुकार। ।
युग का शौर्य सूर्य ने बादला करवट नई सुबह के महा पराक्रम त्याग का पुरुषार्थ ।।
संग्राम के सिंह शेर सांगा के धैर्य वीर का मेवाड़ मुकुट राणा महा योद्धा युग प्रताप प्रकाश!!
कठिन चुनौती में जन्मा विकट विराशतओं की जिम्मेदारी कर्तव्य बोध का महान महा राणा प्रताप!
संग्राम भूमि की दहसत दहाड़, शक्ति के मद में मदमस्ताै का दहशत।।
हुंकार परपिता के हर घाव का सयुंक्त हिसाब अस्सी किलो का भला महाराणा की भुजायों का शृंगार!!
पवन वेग शत्रु पर प्रहार का चैतन्य चेतक ।
प्रताप की प्रबल पराकाष्ठा के युद्ध कौशल की धरातल धार ।।
हार को दरकिनार शत्रु कि शक्ति साहस का नाश ।
महा राणा, सांगा संग्राम रक्त की युग चमक स्वाभिमान!!
पूर्ण, पूर्णता का पुरुष पुरूषार्थ झुकाना टूटना कायरता के बैभव का परित्याक्त, ।
प्रतिज्ञा, वचन बद्धाता जीवन का सिद्ध सिद्धांत!!
घास की रोटी अवनि पर सयन वन वन मातृ भूमि की स्वतंत्रता रक्षा का संकल्प ।
यग्य यतन कौड़ी कौड़ी के लिए संघर्ष मगर मातृ भूमि का स्वाभिमान, नहीं झुकने दिया सर।
लड़ता गिरता उठता संभलता विजय पराजय विजय का विजयी युग मुस्कान ।।
महानता का पुण्य प्रताप मेवाड़ का सूरज भारत में नव सूर्योदय का भान मान!!
भामा शाह की मित्रता मित्र मानव मानवता का शिखर ।
श्रेष्ठ श्रेष्ठतम रणनज्य योद्धा भामा का सच्चा सार्थक मान महत्व स्वाभिमान!!
जब जब होगी मातृभूमि की ललकार हर युवा हृदय से उठेगी हुंकार ।
गूँजेगा मातृ भूमि की रक्षा स्वतंत्रता की पुकार महाराणा की आवाज़ ।।
मर्यादा की मांग यही है राणा सांगा, संग्राम, महा राणा के त्याग बलिदान ।
प्रेरणा के प्रकाश की पराकाष्ठा का युग अलख का अवाहन ।।
महा राणा के मूल्यों का आदर्श संवर्धन राष्ट्र आराधन, राष्ट्र आराधन, राष्ट्र आराधन!!
महाराणा प्रताप का युद्ध कौशल और पराक्रम ---
हल्दी घाँटी में हुई युद्ध की ललकार।
मुगलों की भारी सेना से राजपुताना के कुछ सिमित वीरों का सामना ।।
हर वीर राजपूत था भारत माता के स्वाभिमान का रक्षक ।
वीर सपूत राजस्थान चित्तौड़ मेवाड़ का सच्चा जज्बा और जूनून ।।
लिया एक शपथ ही था मेवाड़ भारत के सम्मान की बुनियाद।
आज़ाद भारत का विगुल बजायेगे मर जायेंगे
हँसते हँसते पीछे कदम नहीं हटाएंगे ।।
रणभूमि में हर मुग़ल सिपाही को राजपुताना
शक्ति, शौर्य की परम्परा का लोहा हम मनवाएंगे ।
देकर बलिदान मातृभूमि का मान बढ़ाएंगे!!
राणा का भाला बोला दुश्मन का सिंघासन डोला !!
हल्दी घाँटी के युद्ध भूमि में राणा का वीरता पुरुषार्थ बोला !!
सिंह की दहाड़ से दुश्मन की सेना त्राहि त्राहि बोल!!
उदय सिंह रणवाकुरा सग्राम के लहू की ललकार ।
दुश्मन भी जय भवानी भारत की जय बोलै !!
महान योद्धा देश भक्त मेवाड़
राजस्थान भारत का अभिमान महाराणा प्रताप।।