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Writer Rajni Sharma

Inspirational

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Writer Rajni Sharma

Inspirational

प्यार एक भावना या डर

प्यार एक भावना या डर

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प्यार एक खूबसूरत एहसास

जिसके सामने हम अपनी

हर बड़ी से बड़ी तकलीफ़ भूल जाते हैं 

जब हम प्यार में होते हैं तो

हर चीज के जैसे मायने ही बदल जाते हैं 

पर वो कहते हैं ना 

अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती 

कुछ ही पल में भा जाए जो

वह चीज कभी सच्ची नहीं होती


निशा एक ऐसी लड़की 

जो अपनी ही दुनिया में मस्त रहती थी 

कॉलेज जाना, स्टडी करना

हर रोज की यही दिनचर्या थी

जिसे अभी तक भी यह बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड

की बातें समझ में नहीं आती थी

दोस्तों के साथ घूमना-फिरना,

पार्टी करना जिसे बहुत पसंद था

प्यार-व्यार के चक्कर से कोसों दूर थी 

या यूँ कहूँ इन सब बातों में

कभी पड़ना ही नहीं चाहती थी 

बस एक बात जानती थी 

कि वह अपनी जिंदगी में अकेले

ही बहुत खुश है 

स्कूल टाइम से ही हमेशा

हर क्लास में अव्वल आती थी

कॉलेज की हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेती

डांस और सिंगिंग का बहुत शौक था 

क्लास में कभी टीचर्स की एक्टिंग

करते हुए पढ़ाना

तो कभी दोस्तों की मिमिक्री करना 

क्लास बंक करके कैंटीन की चाय पीना 

बिना किसी परवाह के आज़ाद ज़िन्दगी जीना 


सभी टीचर की फेवरेट 

और दोस्तों की जो जान थी

जीवन की हर मुश्किल भी

जिसके आगे आसान थी

सोशल मीडिया की दुनिया में जिसने

बस अभी एक कदम बढ़ाया था

इंस्टाग्राम एप्प पर अपना अकाउंट बनाया था 

हजारों रिक्वेस्ट आने लगी

सब को रिजेक्ट कर देती थी 

बस फनी वीडियोस देखकर ऑफलाइन

कर देती थी  

एक दिन बड़ी खुश थी 

इसलिए जो भी रिक्वेस्ट आई

सबको एक्सेप्ट कर लिया

अचानक एक रिक्वेस्ट आती है

रूद्र नाम के लड़के की

गलती से वह भी एक्सेप्ट कर ली 

तभी कुछ देर बाद मैसेज आता है हेलो 

और उसने रिप्लाई किया

सॉरी मुझे बात नहीं करनी

फिर से मैसेज ना करें 

पर लड़का मानने वाला ना था

और मैसेज करता ही गया

तब निशा को गुस्सा आया और

दो चार बातें उसे सुना भी दी 

फिर लगा कि शायद किसी

को ऐसे बोलना सही नहीं

इसलिए उसे समझाने लगी


जिंदगी में कुछ अच्छा करो

मोटिवेशनल बातें बताने लगी

लड़के ने कहा मुझे अच्छा लगा 

तुम बाकी सब के जैसी नहीं

अब किसी को भी परेशान ना करूँगा 

तुम्हारी इन बातों से मुझे 

सच में एक अच्छी सीख मिली

तुम मेरी दोस्त बनोगी क्या

तुम सच में एक समझदार लड़की हो 

कभी-कभी कुछ समझ नहीं आता 

तुम प्लीज मेरी मुश्किल हल करोगी क्या 

तुमसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा 

कभी करूँगा नहीं परेशान तुम्हें 

तुम्हारी इन मोटिवेशनल बातों से 

एक नई ही उम्मीद नजर आई मुझे

निशा ने कहा चलो ठीक है 

पर बात मैं ज्यादा नहीं करती

पता नहीं कोई कैसा हो 

इस बात से हमेशा रही डरती

अब दिन यूँ ही बीतने लगे

और हो गई एक नई शुरुआत

रूद्र ने कहा प्यार करता हूँ तुमसे

चाहता हूँ जिंदगी भर का साथ 

निशा ने साफ मना कर दिया

मेरे लिए ऐसा कुछ नहीं

समझाने का हर प्रयास किया

पर रुद्र ने था ठान लिया

खुद को ही सबकुछ मान लिया

कोई हीरो नहीं एक विलेन है वो 

ऐसा कुछ था जता दिया

पीकर बोतल शराब की

सबकुछ नशे में बता दिया 

कितनी ही मेरी गर्लफ्रेंड्स हैं

पर वो बस तुम हो 

जिसको इस दिल ने चाह लिया 

मुझे ऐसा वैसा ना समझो 

जो चाहा मैंने पा लिया

भले तुम चाहो या ना चाहो

शादी होगी तो मुझसे ही 

वरना तुम ये सोच लो जिंदा

फिर तुम ही नहीं 

निशा थी अब घबरा गई

नशे में सुनकर सच्चाई उसकी

खुद पर थी पछता रही 


रुद्र ने कैसे भी उसे मनाने को

अपना ही हाथ अब काट लिया

निशा थी बस घबरा रही 

कुछ समझ ही ना आ रहा था

बोलकर सॉरी उसको 

झट से था उसने ब्लॉक किया 

रूद्र कहाँ समझने वाला था

उसने दूसरी आईडी से फिर से

उसको परेशान किया

खुद को ब्लड कैंसर होने का

था नाम लिया

निशा डरती थी अब क्या करूँ 

खुद को ये कहाँ फंसा दिया

कुछ अच्छा करने के चक्कर में 

मुश्किलों में धंसा लिया

उसके पागलपन को देखके

कितनी ही बार थी जान गई

झूठी बातों और वादों से 

अब निशा भी थी मान गई 

पर वो बस डरती थी कोई प्यार नहीं 

भले उसको पड़ता कोई फ़र्क नहीं 

उसकी वजह से रुद्र को कुछ ना हो

उसके माँ-बाप को दुख ना हो

धीरे-धीरे दिन बीतने लगे 

रुद्र के असली रंग दिखने लगे


कोई प्यार नहीं बस ज़िद थी वो

जो मना कर सके रुद्र को

शायद पहली कोई मिली थी वो

निशा भी सब जान गई 

उसकी ज़िद को पहचान गई 

उसके पागलपन के आगे

कुछ कह ही ना पाती थी

अच्छी बुरी हर बात को 

बस चुप रहकर सह जाती थी

पर अब निशा थी जान चुकी

उसका डर ही रुद्र की ताकत है

ये बात थी मान चुकी

अपने इस डर को उसने अब

अपनी ताकत से जोड़ दिया

भूलकर उस रुद्र को ज़िन्दगी को

एक नया मोड़ दिया

रुद्र भी अब जान गया 

निशा की अच्छाई पहचान गया

खुद को था कोसने लगा

गिड़गिड़ा निशा से माफ़ी

माँगकर रोने लगा 

अपने कहे बुरे शब्दों को

पछ्तावे से धोने लगा

सच में आज उसको खो दिया 

मन ही मन मरने लगा

जो डर दिया था आजतक निशा को 

अब खुद उससे डरने लगा

बस अपने झूठे अहं की ज़िद में 

एक सच्चा दोस्त भी खो दिया

माफ़ी भी किस मुँह से मांगे 

यही सोचकर रो दिया...।



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