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Writer Rajni Sharma

Abstract

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Writer Rajni Sharma

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मैंने वक्त बदलते देखा है

मैंने वक्त बदलते देखा है

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मैंने वक्त बदलते देखा है

किरदार बदलते देखे हैं 

मतलब के लिये रिश्तों के

हकदार बदलते देखे हैं


साथी थे जो दोस्त सदा 

हर छोटी-छोटी बात में भी

आज बड़े-बड़े मुद्दों पर

वो वफ़ादार बदलते देखे हैं


धोखा ही मिलता है अक्सर 

सचमुच के जज़्बातों को 

खेलते हैं लोग दिलों से

देखकर हालातों को

हालातों के परीक्षा में 


कुछ यूँ परखते देखे हैं 

मैनें वक्त बदलते देखा है 

किरदार बदलते देखे हैं

मतलब के लिए रिश्तों के

हकदार बदलते देखे हैं 


जो खुद को मसीहा समझते थे

इन्सान बदलते देखे हैं 

पत्थर दिल थे कभी जो

मोम जैसे पिघलते देखे हैं


मतलबी इस दुनिया में 

मतलब का सिक्का चलता है 

सरेआम रिश्तों के मकान

नीलाम होते देखे हैं..!


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