ज़िंदगी एक जंग है
ज़िंदगी एक जंग है
ना जाने ज़िंदगी का,
क्या रूप है क्या रंग है
क्या है ये ज़िंदगी,
ये ज़िंदगी एक जंग है
ख्वाहिशों से घिरे हुए
बैठे थे एक छोर पर
तिनके सारे समेट लिए
धीरे-धीरे जोड़कर
फिर भी ना जाने क्यूँ
ये ज़िंदगी बेरंग है
क्या है ये ज़िंदगी,
ये ज़िंदगी एक जंग है
सागर की गहराई को
नापा है क्या किसी ने
किनारे पर हो खड़ा
झाँका है क्या किसी ने
क्या ज़िंदगी सागर में
कोई उठती हुई तरंग है
क्या है ये ज़िंदगी,
ये ज़िंदगी एक जंग है
बेईमानों को जीत जहाँ
ईमानदार को ठोकर मिले
जवानों को पहचान यहाँ
ज़िंदगी खो कर मिले
जिंदा इंसानों में ना
अब जीने की उमंग है
क्या है ये ज़िंदगी,
ये ज़िंदगी एक जंग है
नक़ाब ओढ़ कर यहाँ
हर जुर्म छुपाया जाता है
पत्थर दिल इंसान को
हीरा बताया जाता है
मुश्किलों का सामना कर
ईमानदार बुलंद है
आज मैं समझी आखिर
ये ज़िंदगी क्यूँ जंग है...