वो पहली होली कॉलेज की !
वो पहली होली कॉलेज की !
रंग बिरंगी होली में हर रंग निखर कर आया है
मस्ती में सब झूम रहे, एक अलग नज़ारा लाया है
कोई खेल रहा पिचकारी से
तो किसी ने गुलाल उड़ाया है
गर्मा-गर्म कचौड़ी, कोई खा रहा मिठाई है
तो किसी ने खुद को पूरी तरह भांग में डुबाया है
कितना अनोखा त्योंहार है ये
जो सबको ही इतना भाता है
भले हिन्दू हो या मुस्लिम
सबको एक सा रंग जाता है
बचपन की वह होली भी क्या बड़ी कमाल होती थी
किसी की सूरत पीली नीली
तो किसी की लाल होती थी
भर भर कर पिचकारियाँ एक-दूजे पर रंग उड़ाते थे
कर-करके शरारतें सबको खूब सताते थे
हमारी उन नटखट यादों को फ़िर से याद दिलाने आया है
इन प्यारे-प्यारे रंगों में सबको ही रंगने आया है
जो छूट गई थी दूर हमसे वापिस लौटाने आया है
ना जाने कितनी ही सुंदर यादों को संग में लाया है
कॉलेज की वो पहली होली आज भी याद आती है
सोचकर बीते लम्हें ये आँखें भर जाती हैं
जब मस्ती करते थे उन प्यारे दोस्तों के साथ
जो घूमते थे संग कभी, हाथों में लेकर हाथ
हाँ वो कॉलेज की पहली होली
जिसमें एक-दूजे को इस तरह से रंग दिया
कि कोई पहचान भी ना पाए
देखकर वो रंगीन चेहरे
सब बस हँसते ही जाएँ
ना टीचर का डर होता था
ना किसी बात की फ़िक्र होती थी
हम पागलों की अपनी एक अलग ही दुनिया होती थी
ना जाने एक अलग सी मस्ती
एक अलग सा जुनून होता था
खट्टी-मीठी तकरार में भी
प्यारा सा सुकून होता था
पर वो दोस्त, वो दिन शायद अब कभी लौट कर ना आएं
जिनके साथ कभी घंटों बातें किया करते थे
हर छोटे-छोटे लम्हें को दिल से जिया करते थे
अरे याद है मुझे कॉलेज की वो होली
जिसमें कितनी ही सेल्फीज़ लेने के चक्कर में
एक दोस्त का फोन ही गिरकर टूट गया था
उस दिन भले फोन टूट गया था
लेकिन उस होली में वह अपने साथ
ना जाने कितने ही कीमती लम्हों को जोड़ गया था
हाँ ! शायद हमें यह होली कभी इतना याद ना रहती
लेकिन एक बात हमेशा याद रहती थी
कि उस होली में हमने क्या-क्या शरारतें की थी
लगता नहीं था हम बड़े हो गए
क्योंकि कॉलेज में भी हमने स्कूल के बचपने वाली ही ज़िंदगी जी थी
टीचर्स के साथ होली खेलना, दोस्तों के साथ मस्ती करना, गाना-बजाना,
कितने प्यारे दिन होते थे ना
लेकिन अब देखो, ज़िन्दगी किस मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है
जहाँ वो मजाक मस्ती
हमारी वो नादानियाँ, छोटी-छोटी शरारतें
सब कुछ जैसे कहीं छूट सा गया है
मानो समय के साथ-साथ
वो हर रंग फीका पड़ता जा रहा है
त्योहारों का आनंद उठाने का
एक अलग ही जोश जो होता था
अब शायद वह नहीं रहा
उन दोस्तों के बिना
ये रंग-बिरंगी होली भी
ना जाने क्यूँ फीकी-सी लगती है
त्यौहारों की वो चहल-पहल
जो मन को मोह लेती थी
अब वो उत्साह और खुशी मानों
एक सपने जैसी लगती है
आशा करती हूँ, एक बार फिर हम वही मस्ती से भरी ज़िन्दगी जिएंगे
हमारी शरारतों वाली उस होली को फिर से रंगीन बनाएँगे
फिर एक बार कॉलेज के वो अनोखे दिन लौट कर आएंगे
जब सभी दोस्त मिलकर कैंटीन की चाय का लुत्फ़ उठाएंगे
हाँ! फिर एक बार हम दोस्तों के प्यार की उस होली में खुद को रंग जाएँगे..!
©️Rajni शर्मा@
words_never_die_rs
