मुस्कुराहट के पीछे का दर्द
मुस्कुराहट के पीछे का दर्द
नन्हीं-सी वह गुड़िया बड़ी हो गई
जो छोटी-छोटी बातों पर लड़कपन दिखाती थी
अब बड़ी-बड़ी बातें भी दूसरों को समझाती है
क्योंकि अब वह शादीशुदा है
और अपनी परेशानियाँ हर किसी को नहीं बता सकती
इसलिए अपनी मुस्कुराहट के पीछे ही अपना दर्द छुपाती है
स्कूल जाना, पढ़ाई करना
हर रोज की यही दिनचर्या थी
लेकिन अब उन किताबों से ही
मुलाकात तक नहीं हो पाती है
घर के कामकाज में व्यस्त अब पढ़ने में समय नहीं दे पाती है
मन तो करता है अब भी पढ़ने को पर किसी से कह नहीं पाती है
इसलिए अपनी मुस्कुराहट के पीछे ही अपना दर्द छुपाती है
कॉलेज में कभी दोस्तों के साथ
रेस्टोरेंट में पार्टी करती थी
घर के खाने-पीने में जो
कितने नखरे करती थी
लेकिन अब पूरे परिवार के लिए
अकेली खाना बनाती है
कई बार इन सब के बीच खुद भूखी ही रह जाती है
इसलिए अब अपनी मुस्कुराहट के पीछे ही अपना दर्द छुपाती है
कभी शान से जिंदगी जीती थी
और सब पर हुक्म चलाती थी
सब टीचर्स की थी फेवरेट
हर विषय में अव्वल आती थी
लेकिन अब छोटे-छोटे कामों में भी गलतियाँ कर जाती है
इसलिए अब अपनी मुस्कुराहट के पीछे ही अपना दर्द छुपाती है
कभी चहकती चिड़िया सी होती थी
आजाद घूमती थी दिन भर के लिए
अब घर की चारदीवारी में कैद हो गई है उम्र भर के लिए
फिर भी बिना शिकायत के
सब कुछ सहन कर जाती है
इसलिए अब अपनी मुस्कुराहट के पीछे ही वह अपना दर्द छुपाती है
कभी होती थी एक कलम के जैसी
अपनी किस्मत खुद लिख लेती थी
बड़ी से बड़ी डिमांड भी माँ-बाप से कह देती थी
अब जरूरत की चीजों के लिए भी मोहताज सी हो जाती है
इसलिए अब अपनी मुस्कान के पीछे ही वह अपना दर्द छुपाती है
अब अपनी मुस्कान के पीछे ही वह अपना दर्द छुपाती है..!