कोरोना पर विजय..
कोरोना पर विजय..
कोरोना रूपी दानव का कैसा ये छाया खतरा है
सब हो गए कैद कमरों में
हर ओर सन्नाटा पसरा है,
अपराधी की तरह जिंदगी चारदीवारी में बंद है
इस महामारी से बचने को सब कर रहे प्रबंध हैं,
ना बाहर घूमने जाना है
ना बाहर का खाना, खाना है
घर पर ही रह कर हमको अब सारा दिन बिताना है।
ना दोस्तों के संग जा सकें
ना बर्थडे पार्टी मना सकें
ना शादियों की शहनाई है
एक मनहूसियत-सी छाई है
ना शिन शैन हमें हँसा रहा
ना टीवी मन को भा रहा
हर रोज देखकर मौत की खबरें
दिल है बस घबरा रहा।
ना कोई गेम ही दिल को ठगता है
ना पढ़ने में मन लगता है
ना घर पर रहने की खुशी होती है
ना ये आँखें चैन से सोती हैं।
मानवता का देख ऐसा अंत रूह तक अब रोती है
ना जाने कैसा मंजर है, एक कोहराम सा छाया है,
कोरोना रूपी दानव मानों, सबको निगलने आया है
कुछ कर भी नहीं सकते हैं, मगर दिल फिर भी बैठा जा रहा,
कोई तो हल निकले इसका, हर कोई यही आस लगा रहा
डॉक्टर के रूप में ईश्वर अवतार लेकर आए हैं।
खुद की जान पर खेलकर कितने ही जीवन बचाए हैं,
है नमन मेरा उन सैनिकों को दिन-रात खड़े जो रक्षा में
हम हैं सुरक्षित क्योंकि वो जूझ रहे हमारी सुरक्षा में
नमन मेरा हर अधिकारी को देशहित में जो हैं लगे हुए
दिन रात कर रहे हैं सेवा
भले हों कितना ही थके हुए।
घर पर रहकर हमको भी अपना यह फर्ज निभाना है
सबको ही करके जागरूक कोरोना को भगाना है
मुँह पर मास्क पहनना है
घर के अंदर ही रहना है
हाथों को सैनिटाइज करना है
और व्यर्थ में नहीं डरना है
विजय भी पाएंगे इस कोरोना पर
बस डटकर मुकाबला करना है।
