नज़रिया
नज़रिया
न सुधारो दुनिया को, न ही किसी इंसान को
अगर कुछ बदलना है तो अपना नज़रिया बदलो,
किसी भी कहानी में दो पहलू होते हैं
लेकिन हम तो सिर्फ अपने ही पसंद के पहलू देखते हैं,
किसी और की सुनते ही कहां हैं?
एक तरफ़ा प्यार हो, या हो सलाह या निर्णय
होता नहीं अच्छा, न है उसकी कोई कीमत
हाथ से छूट जाते हैं, फिर न हाथ आते वो,
जहां दोनों ही शामिल हो सके अपने सोच के साथ
वह रिश्ता हो या काम, सच्चाई से चमकने लगते हैं...!