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Amrita Mallik

Abstract

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Amrita Mallik

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मातृत्व

मातृत्व

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मातृत्व इतना कठिन क्यों लगे मुझे ?

कभी न लगे अपना या प्यारा ?

लगता है जैसे किसी ने जोर जबरदस्ती से

थोपी है ये ज़िम्मेदारी जैसे ही हो गयी मेरी शादी...


एक माँ और संतान के बीच कितना है नियम,

मेरी हर एक सांस करें प्रभावित उस पर,

भूल न करू कभी, मेरे सपने रहेंगे अधूरे,

नहीं तो बच्चा जाए बिगड़, और माँ बन जाए दोषी...


न कोई सहारा मिले, न कोई उम्मीद,

हमेशा रहू उलझी, डरी डरी

इतना खौफ़नाक क्यों है मातृत्व ?

फिर भी आए माँ का दिन, जैसे नारी दिवस,

न कोई फायदा, न कोई शक्तिशाली प्रभाव,

ये नौटंकी नहीं चाहिए कोई भी माँ को,

एक बिना विचार करें, बस मिल जाए एक दोस्त..

सम्मान मिले एक माँ को,


थोड़ा गलत उम्मीद छोड़ के,

लोग आगे आ जाए, हाथ बंटाए

मातृत्व बन जाए एक सुहाना सफर।


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