शिक्षक
शिक्षक
कच्चे घड़े को सुडौल सा आकार देता है
कोरी स्लेट को शिक्षा का संसार देता है
गुरु,शिक्षक,अध्यापक आदि कहते हैं,
ब्रह्मा की भांति सृजन का सुनार देता है!
समय आजकल भले ही बदल चुका है,
पर शिक्षक नव युग का चमत्कार देता है
कच्चे घड़े को सुडौल सा आकार देता है
अपने श्रम से बंजर भूमि को सुधार देता है!
जिसको अपने गुरु पर भरोसा होता है,
उन्हें चाणक्य बनकर ऊंची मीनार देता है
इस दुनिया मे एकमात्र गुरु ही होता है,
शिष्य को खुद से ऊंचा सितार देता है!
जो अपने गुरु को जान लेते,पहचान लेते
उन्हें शेरनी का दूध दुहने का तार देता है
कभी समर्थ गुरु रामदास हो शिवा देता है
कभी परमहंस बनकर विवेकानंद देता है!
कच्चे घड़े को सुडौल सा आकार देता है
जमीं पे गिरे को फ़लक की कार देता है
इसलिये गुरु को जानो,गुरु को मानो
ये हमको सँघर्ष करने की पतवार देता है!
ये प्रलय शिक्षक की गोद में पलते है,
ये अंधेरे तो उसके नाम से ही डरते है,
गुरु दीपक सा जलना सिखा देता है
कच्चे घड़े को सुडौल सा आकार देता है
खुदा से मिलने का रास्ता बता देता है
शिक्षक ज़मीं को फ़लक बना देता है
शिक्षक को सर्वप्रथम प्रणाम करता हूँ,
वो पत्थरों से भी झरना बहा देता है