स्त्री
स्त्री


सृष्टि का खूबसूरत
अवतार हैं हम स्त्री
तेज धार कि वह
बौंछार हैं हम स्त्री
हमें फूल भी
कह सकते हो
वक्त मे आग की
चिंगार हैं हम स्त्री।
आत्मा की जज्बातों
को जो ललकारें,
उत्तर तेरे आंखों की
वह आग हैं हम स्त्री
तपती जलती सुलगती
संवेदना की सार हैं हम स्त्री।
टूटती बिखरती जलती
बाँती की तरह जलते
एक पवित्र गंगा की
मजबूत धार हैं हम स्त्री
घाव की पीप बनकर
तेरी आंखों को
लहुलूहान कर जाएंगे
ऐसी कटार तलवार
हैं हम स्त्री।
हमे जो घायल करें
दरिंदों के जिंदगी की मौत
के तलबदार हैं हम स्त्री
मेरी ममता को
शर्मशार गर तू करें।
मिटा दे तेरे व़जू़द को ऐसी
हथियार हैं हम स्त्री
हाँ सृष्टि की खुबसूरत
अवतार है हम स्त्री।