भिखारी सत्ताधारी
भिखारी सत्ताधारी
राजनीति सत्ता दारो से चलती
काला धन व्यापारियों से बढ़ता
मजदूर मेहनत करके भी धन को तरसता
फिर भी प्यासा सत्तादार मजदूर के खून का
फिर भी साथ हमारा कम नहीं होता
मेहनत के जुनून का
कि आज मैं आंसू से नहीं
खून से भीग रही हूं
बना दिया मुझे खून का प्यासा
मैंने तो बस लोगों की सेवा ही करना चाहां था
राजनीति हूं मैं कोई व्यापार नही
लोगों की सेवा करना पहचान
फिर भी लोग मुझे समझते हैं
और मुझे वैश्या का ही एक अंग कहते हैं
मैं तो लोगों की भलाई के लिए बनी
पर लोगों ने मुझको एक वैश्या बना डाला
राज करना था लोगों के दिलों पर
पर लोगों ने तो मुझे एक धंधा बनाना डाला
मैं किससे करूं अपना दर्द बयां
सत्तादारो ने मुझे लोगों की हैवानियत का
चौकीदार बना डाला
सत्तादारों हम पर यह कैसा करम फरमा डाल
लोगों की सेवा तो क्या
राजनीति को गुनाहों का ठेकेदार बना डाला।
