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Madhu Gupta "अपराजिता"

Inspirational

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Inspirational

पुरुषोत्तम राम

पुरुषोत्तम राम

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मानकर पिता की आज्ञा,जो वनवास अपने लिए चुनता है l

हर किसी पर रखता दया भाव, ह्रदय जिसका निर्मलता से भरता है ll

दुखों को जीवन भर सहकर, होठों पर हमेशा मुस्कान सजाता है l

वहीं पुरुषोत्तम बनकर, इस संसार में श्रीराम कहलाता है ll


रामनवमी के दिन अयोध्या नगरी में मां कौशल्या के गर्भ जन्म लेता है l

पिता दशरथ और तीन माताओं का जेष्ठ पुत्र कहलाता है ll

लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न उसके अनुज भाई कहलाते हैं l

स्नेह अपार देते उनको इसलिए आदर और सत्कार भाइयों का पाते हैं ll


छोड़ के घर बार लक्ष्मण और पत्नी सिया संग वन को वो चुन लेते हैं l

पल भर की ना देरी करते नंगे पैर वन को निकलते हैं ll

सारी अयोध्या नगरी बिलखती छोड़ माता पिता का मान वो हृदय से रखते हैं l

ऐसा गौरवान्वित पुत्र इस दुनिया में कहाँ किसी को मिलते हैं ll


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